गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई..!!
बेटी बोली भाई !!
माँ: किसके जैसा?
बेटी: रावण सा....!
माँ: क्या बकती है?
बेटी बोली भाई !!
माँ: किसके जैसा?
बेटी: रावण सा....!
माँ: क्या बकती है?
पिता ने धमकाया, माँ ने घूरा, गाली देती है ??
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्यवंश और प्राण लुटा देने वाला,,
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी स्पर्श न करने वाला रावण जैसा भाई ही तो हर लड़की को चाहिए आज,
छाया जैसी साथ निबाहने वाली गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें तुम कब तक सुनोगी और कब तक राम को ही जन्मोगी .....!!!
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था...
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्यवंश और प्राण लुटा देने वाला,,
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी स्पर्श न करने वाला रावण जैसा भाई ही तो हर लड़की को चाहिए आज,
छाया जैसी साथ निबाहने वाली गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें तुम कब तक सुनोगी और कब तक राम को ही जन्मोगी .....!!!
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था...
badhia hai!
जवाब देंहटाएंto read my Hindi poems, kindly visit:
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जी आप का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंमेरी इस कविता को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद। 1998 में लिखी यह कविता अभी भी दुर्भाग्य से उतनी ही समसामयिक है।
जवाब देंहटाएंसुधा शुक्ला
http://hamkahlina.blogspot.in
Sudha Ji sukriya aap ka
हटाएंमेरी इस कविता को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद। 1998 में लिखी यह कविता अभी भी दुर्भाग्य से उतनी ही समसामयिक है।
जवाब देंहटाएंसुधा शुक्ला
http://hamkahlina.blogspot.in